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प्रभु के सिवा कोई अपना नहीं: राम जी ने सीता जी का परित्याग क्यों किया? लव कुश ने तोड़ा सबका अभिमान
इस भागवत कथा में राम जी के सीता जी के परित्याग की कहानी और लव-कुश के अभिमान कोड़ के बारे में जानकारी है। जानें क्यों कहा गया है कि प्रभु के सिवा कोई अपना नहीं और कैसे ये घटनाएं उनके शिष्यों के साथ जुड़ी थीं।
Video Summary & Chapters
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Video Transcript
जय जय
राधा
वल्लभ श्री हरि
वंश जय जय श्री
[संगीत]
वृंदावन श्री वन चंद जय जय
राधा
वल्लभ श्री हरि
म श्री
वृंदावन श्री मनचंद जय जय
राधा
वल्लभ गुरु
हरिवंश जय जय गुरु
वृंदावन गुरु वन चंद जय जय राधा
वल्लव गुरु हरि बं जय जय गुरु
वृंदावन गुरु वन चंद जय जय
राधा
वल्लभ श्री हरि वंश जय जय श्री
वृंदावन श्री वन चंद जय जय
राधा वल्लभ
श्री
हरिवन जय श्री
वृंदावन
श्रीवन
वृंदावन
शवरी
तव
पदारविंदम
प्रेमा
मृतक मकरन
रसो
पूर्णम
हदर
पितम
मधुपति स्मर
ताप मुग्रॉडी
[संगीत]
निर्वा
पय परम
शीतल
मा
[संगीत]
शयाम परम सच्चिदानंद
घन प्रेमानंद
स्वरूप नव निवृत निकुंज महामहिम परम पावन
श्री वृंदावन धाम
श्री वृंदावन धाम के
लाड़ले प्राणा आराध्य प्राण
प्रिय श्री श्यामा श्याम जू समस्त सहचर
वृंद खग मृग पशु पंछी तरु लता यमुना रस